“कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव: ग्लैमर से तस्करी तक की कहानी”
“कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव: ग्लैमर से तस्करी तक की कहानी”-
परिचय
कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की उभरती हुई अभिनेत्री रान्या राव हाल ही में सुर्खियों में तब आईं जब उन पर सोने की तस्करी के गंभीर आरोप लगे। जहाँ एक ओर रान्या ने बड़े पर्दे पर अपनी अदाकारी से लोगों का दिल जीता, वहीं दूसरी ओर उनका नाम अब विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (COFEPOSA) के तहत सामने आया है। यह मामला सिर्फ एक अभिनेत्री की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं, बल्कि एक बड़े अंतरराष्ट्रीय तस्करी रैकेट का हिस्सा बताया जा रहा है।
कौन हैं रान्या राव?
रान्या राव, जिन्हें हर्षवर्धनी रान्या के नाम से भी जाना जाता है, कन्नड़ सिनेमा की एक लोकप्रिय अभिनेत्री हैं। उन्होंने कुछ चर्चित फिल्मों में काम कर अपनी पहचान बनाई थी। लेकिन मार्च 2025 में उनकी गिरफ्तारी ने न केवल फिल्म इंडस्ट्री को झटका दिया, बल्कि उनके प्रशंसकों को भी हैरान कर दिया।
गिरफ्तारी और सोने की तस्करी का मामला
3 मार्च 2025 को, रान्या राव को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया, जब उन्होंने ग्रीन चैनल से निकलने की कोशिश की। डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) के अधिकारियों को उनकी हरकतें संदिग्ध लगीं। महिला अधिकारियों द्वारा की गई गहन तलाशी में उनके पास से 14.213 किलोग्राम 24 कैरेट सोना बरामद किया गया, जिसकी अनुमानित कीमत ₹12.56 करोड़ थी।
जांच के बाद हुआ बड़ा खुलासा
रान्या की गिरफ्तारी के बाद, डीआरआई ने उनके घर पर छापा मारा। यहाँ से ₹2.67 करोड़ की बेहिसाबी नकदी और ₹2.06 करोड़ मूल्य के सोने के आभूषण जब्त किए गए। जाँच में यह भी सामने आया कि रान्या ने 2023 से 2025 के बीच 34 बार दुबई की यात्रा की थी, जो एक सोने की तस्करी सिंडिकेट की ओर इशारा करती है।
तस्करी का अंतरराष्ट्रीय रैकेट
जाँच एजेंसियों का मानना है कि रान्या, तरुण राजू और साहिल जैन के साथ मिलकर दुबई, युगांडा और अन्य देशों से सोने की तस्करी कर रही थीं। वे हवाला चैनलों के माध्यम से भुगतान करते थे और दुबई से झूठे निर्यात दस्तावेज बनाकर सोने को भारत भेजते थे। इस गिरोह ने पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली को दरकिनार कर एक संगठित तस्करी रैकेट को अंजाम दिया।
जमानत की जद्दोजहद और COFEPOSA की सख्ती
20 मई को, डीआरआई द्वारा समय सीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल न करने के कारण, रान्या और उनके सह-आरोपी तरुण राजू को डिफ़ॉल्ट ज़मानत मिल गई। लेकिन सरकार द्वारा 22 अप्रैल को COFEPOSA (विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम) के तहत निवारक निरोध आदेश जारी किया गया था।
इस आदेश के तहत, किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है अगर उस पर तस्करी या विदेशी मुद्रा से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने का संदेह हो।
23 मई 2025 को सलाहकार बोर्ड ने आदेश जारी किया कि रान्या राव और उनके साथी सह-आरोपियों को एक साल की अवधि में ज़मानत का कोई अधिकार नहीं होगा।
रान्या के वकीलों का दावा
रान्या के वकीलों ने आरोप लगाया कि डीआरआई ने कई दस्तावेजों में हेराफेरी की है और यह मामला समझौता योग्य है। उन्होंने यह भी कहा कि रान्या निर्दोष हैं और उन्हें झूठे आरोप में फंसाया गया है। हालाँकि, अदालतों ने दो बार उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिससे उनकी मुसीबतें और बढ़ गईं।
COFEPOSA क्या है?
COFEPOSA (Conservation of Foreign Exchange and Prevention of Smuggling Activities Act) एक निवारक कानून है, जिसका उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार और तस्करी जैसी गतिविधियों से बचाना है।
इस अधिनियम के तहत:
- बिना किसी मुकदमे के एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है
- सरकार को संदेह के आधार पर कार्रवाई करने की शक्ति प्राप्त होती है
- ज़मानत पाने के अधिकार को सीमित किया जा सकता है
निष्कर्ष
रान्या राव का मामला यह दर्शाता है कि किसी व्यक्ति की ग्लैमर भरी छवि के पीछे क्या छिपा हो सकता है। जहाँ एक ओर यह मामला भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता का प्रमाण है, वहीं दूसरी ओर यह समाज को एक गहरी चेतावनी भी देता है कि तस्करी जैसे अपराधों में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह सेलिब्रिटी ही क्यों न हो, कानून से बच नहीं सकता।
यह घटना न केवल कानून की शक्ति को उजागर करती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि अपराध चाहे जितना भी बड़ा हो, सच अंततः सामने आता ही है।