अपनी सेवानिवृत्ति के बाद में अपनें मन के अनुसार कुछ करना चाहती थी।
इस बीच मेरी अपनें बेटे से कुछ बात हुई जो की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है।
वह बोला बाकी सब तो कर लेते हैं लेकिन सामान्य हिन्दी में कुछ परेशानी होती है।
मुझे जो समझ में आया कि अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को हिन्दी में परेशानी होती है।
मुझे ये भी महसूस हुआ कि ग्रामीण विद्यार्थी भी परीक्षा की तैयारी हेतु यदि कहीं शहर में नहीं जा पाते तो उनकी भी कुछ मदद हो सके इस कारण में अपने इस ब्लॉग में थोड़ा सा प्रयास कर रहीं हूँ ।
यदि एक बच्चे की मदद होगी तो में बहुत खुशी महसूस करूंगी